21 March 2025

इस बार 16 जुलाई को मनाया जाएगा हरेला का त्यौहार

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इस बार हरेला का त्यौहार 16 जुलाई को मनाया जाएगा।उत्तराखंड के कुमाऊं में इसे हरेला पर्व माना जाता है गढ़वाल में मोल संक्रात, हिमाचल में हरियाली पर्व के तौर पर मनाया जाता है। यह हरेला पर्व साल में तीन बार होता है चैत्र मास व आश्विन मास के नव रात्रि में इधर सावन मास में। ये तीनों हरेला के पर्व सबसे ज्यादा महत्वपूर्ण हरेला सावन के महीने का हरेला बताया जाता है।

हरेला बोने की विधि
हरेला कल यानी छह जुलाई को बोया जाएगा। वहीं त्यौहार 16 जुलाई को मनाया जाएगा। सबसे पहले मिट्टी को सुखाया जाता है उसे छाना जाता है। उसके बाद कोई टोकरी या मिट्टी के बर्तन में हरेला बोया जाता है। हरेला सात व नौ अनाजों के मिक्स अनाजों के द्वारा बोया जाता है। जिसमें गेहूं,जौ,चना,उरुद, सरसों,तिल, मक्का,धान आदि अनाज शामिल हैं।

हरेला बोते समय सबसे पहले एक परत मिट्टी के साथ उन मिक्स अनाजों की मुट्ठी फिर एक परत मिट्टी फिर एक मुट्ठी मिक्स अनाज यही प्रक्रिया होती है।अगर सात अनाज है तो सात बार मिट्टी की मुट्ठी सात बार अनाज की मुट्ठी।अगर नौ अनाज है तो नौ मुट्ठी मिट्टी नौ मुट्ठी अनाज। हरेला बोकर इसे मंदिर के सामने रखा जाता है। हर दिन स्नान करके इसे पानी दिया जाता है।

पूजा पाठ के साथ की जाती है हरेला की गुड़ाई
नौवें दिन पूजा पाठ के साथ हरेला की गुड़ाई की जाती है। फिर दसवें दिन देवी देवताओं की आराधना के साथ विधि विधान से घर के बड़े बुजुर्गों के द्वारा हरेला काट कर सबसे पहले अपने इष्ट देवी देवताओं को चढ़ाया जाता है। उसके बाद शुद्ध पकवान बनाकर हरेला बड़े बुजुर्गो के द्वारा छोटे बच्चों को पूजा जाता है।बहन अपने भाईयों की दीर्घ आयु के लिए हरेला पूजती है।जिसके बाद भाई अपनी बहन को हरेला पूजन की भेंट देते हैं।

प्राचीन काल से हरेला पूजन के लिए आशीर्वाद के लिए गीत के तौर पर कुछ वाक्य बने हैं।

जी रया,जागि रया,यौ दिन,यौ मास भियटनें रया,दूप जै पुंगरिया,पाति जै हुंगरिया,
ला हरियाव ला बागाव ला सरि पंचमी,
एककें एकास है जौ पांचकि पचास।
हाथिक जौ बल है जौ सियक जौं तराण।
बचि रया,जिरया जागि,रया यौ दिन यौ मास भियटनें रया।

पेड़ पौधों को लगाना माना जाता है शुभ
उत्तराखंड देव भूमि में हरेला त्यौहार में पेड़ पौधे लगाने की प्रक्रिया व कई प्रकार के फल दार पेड़ों की क़लम करके लगाने की प्रक्रिया व पेड़ों की टहनियों को लगाने की प्रक्रिया प्राचीन काल से ही चली आ रही है।
बताया जाता है हरेला के दिन पेड़ पौधे इसलिए लगाये जाते उस दिन के पेड़ पौधें लगाना शुभ माना जाता है।
प्रताप सिंह नेगी समाजिक कार्यकर्ता ने बताया हरेला त्यौहार के उपलक्ष्य में अलग-अलग जगहों में अलग अलग-अलग संस्थाओं के द्वारा पेड़ पौधे लगाये जाते हैं।

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