फ्रांसीसी रंगकर्मी जॉन लक बांनसर्ड भरत मुनि नाट्य शिरोमणि सम्मान से अलंकृत
बच्चों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाने वाले डॉक्टर कोर्कझेक की कहानी पर आधारित नाटक का हुआ मंचन
गुप्तकाशी— वन निर्माण एजुकेशन सोसाइटी द्वारा डॉ जैक्स वीन नेशनल स्कूल गुप्तकाशी में 15 दिवसीय कार्यशाला के उपरांत विश्व में बच्चों के अधिकारों के लिए संघर्षशील रहे पोलैंड निवासी डॉक्टर कोर्कझेक की कहानी पर आधारित नाटक का मंचन किया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ रंगकर्मी,पत्रकार एवं सी ई ओ लोकार्पण चैनल त्रिभुवन चौहान ,रंगकर्मी एवं नाटक के निर्देशक जॉन लक एवं कार्यक्रम संयोजक लखपत सिंह राणा द्वारा दीप प्रज्वलित कर किया हुआ I भारत भ्रमण पर आए फ्रांस निवासी, केंसर से जूझ रहे 71 वर्षीय प्रसिद्ध रंगकर्मी जॉन लक लियोन हेनरी बंनसार्ड द्वारा केदारघाटी के अपने प्रवास के दौरान बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने और भारतीय बच्चों के प्रति अपना स्नेह प्रदर्शित करने के लिए *डॉक्टर कोर्कझेक* के प्रयासों, बलिदान और अनाथाश्रम में रहने वाले बालक ऐडजियो और उसके साथियों की कहानी पर आधारित नाटक तैयार करवाकर मंचन करवाया। 15 दिवसीय कार्यशाला में फ्रांसीसी रंगकर्मी जॉन लक बनसार्ड द्वारा बच्चों को नाटकों में प्रतिभाग करने के लिए प्रेरित किया वहीं बच्चों को उनके अधिकारों, रंगमंच,स्टेज सज्जा,मेकअप, सीमित संसाधनों में मंचन की सामग्री तैयार करना , प्रकाश व्यवस्था और अभिनय की बारीकियों को बच्चों को सिखाया।
डॉक्टर कोर्कझेक* द्वारा 1942 के दशक में पोलैंड में अनाथ बच्चों हेतु घर बनवाया गया और उसमें बच्चों की देखभाल की गई।डॉ कोर्कझेक* द्वारा उस दौर में विभिन्न राष्ट्रध्यक्षों, सामाजिक संस्थानों एवं स्थानीय निकायों आदि से बच्चों के अधिकारों को सुरक्षित रखने की जोरदार मुहिम चलाई। उस समय हिटलर ने जब पोलैंड को ध्वस्त और यहूदियों का नरसंहार करवाया उसी दौरान उनके द्वारा अनाथाश्रम में रह रहे सभी बच्चों और डॉक्टर कोर्कझेक* की एक साथ हत्या कर दी गई।आज भी पोलैंड में इस स्थान पर दुनिया में सबसे पहले बच्चों के अधिकारों को आवाज उठाने वाले डॉक्टर कोर्कझेक* और उन बच्चों की याद में विशाल म्यूजियम का निर्माण किया गया है।फ्रांसीसी रंगकर्मी जॉन लक बनसार्ड ने बताया कि उन्हें हिंदी बिल्कुल नहीं आती फिर भी इस दुर्गम क्षेत्र के बच्चों को अंग्रेजी में नाटक तैयार करना अत्यंत दिलचस्प रहा।इस दूरस्थ स्थान पर भी बच्चों ने अंग्रेजी में नाटक को बड़ी शालीनता के साथ सीखा और प्रदर्शन किया। उन्होंने बताया कि जब वो सिर्फ 11 वर्ष के थे तब से 3 वर्षों तक उनका शारीरिक एवं मानसिक शोषण हुआ। जिससे क्षुब्ध होकर उन्होंने निश्चय किया कि वे अपने देश और विभिन्न देशों के भ्रमण के दौरान बच्चों को उनके अधिकारों के लिए प्रेरित करेंगे।इसके लिए उन्होंने रंगमंच को अधिक प्रभावशाली और *डॉ. कोर्कझेक* के प्रयासों को अपना आदर्श मान कर बच्चों के हितों के लिए कार्य करना प्रारंभ किया। हेमवती नन्दन बहुगुणा केंद्रीय गढ़वाल विश्वविद्यालय लोक कला एवं संस्कृति निष्पादन केंद्र के संस्थापक संस्कृतिकर्मी प्रोफेसर डॉ. डी.आर. पुरोहित जी ने फ्रांसीसी रंगकर्मी जॉन लक बनसार्ड के द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच के लिए किए जा रहे प्रयासों व बच्चों में रंगमंच के प्रति जागरूकता पैदा करने हेतु आभार जताया।मुख्य अतिथि त्रिभुवन चौहान ने कहा कि कैंसर से जूझते हुए 71 वर्ष की उम्र में इतनी सिदत के साथ बच्चों के अधिकरों के लिए कार्य करना अपने में अप्रतिम है। नाटक निर्देशक जॉन लक बांनसर्ड ने कहा कहा कि भारत में देव भूमि उत्तराखंड के बच्चों के साथ रंगमंच के माध्यम से बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करना उनके जीवन के स्वर्णिम क्षणों में से है । उन्होंने वर्तमान में यूक्रेन,गाजा,इजराइल सहित अन्य देशों में युद्ध में मारे जाने वाले बच्चों तथा विश्व के उन बच्चों के प्रति संवेदना व्यक्त की जिनका प्रतिदिन विभिन्न प्रकार से शारीरिक शोषण होता है।उन्होंने संस्था द्वारा दिए गए भरत मुनि नाट्य गौरव सम्मान 2024 दिए जाने पर प्रसन्नता व्यक्त की और यह अवसर प्रदान करने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।उन्होंने युद्धों में मारे गए बच्चों के प्रतीक के रूप में छोटी छोटी शिलाओं को नाटक में प्रस्तुत किया और उन्हें विद्यालय में संरक्षित करने का आह्वान किया।
नाटक के संयोजक एवं चेयरमैन लखपत सिंह राणा ने बताया कि बचपन में अपने साथ हुए अत्याचारों से त्रस्त होकर जनजागरूकता को अपने जीवन का लक्ष्य बनाने वाले कैंसर पीड़ित और हिंदी का बिल्कुल ज्ञान न होने के बावजूद भी 71वर्षीय फ्रांसीसी रंगकर्मी जॉन लक बनसार्ड द्वारा बच्चों के बीच में घंटों अभिनय का अभ्यास करवाना उनका अपने कार्य के प्रति निष्ठावान होना दर्शाता है।
इस अवसर पर जीवन निर्माण एजुकेशन सोसाइटी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर रंगमंच,बच्चों के अधिकारों के प्रति जागरूकता अभियान चलाने आदि प्रयासों के लिए फ्रांसीसी रंगकर्मी जॉन लक बनसार्ड को *भरतमुनि नाट्य शिरोमणि सम्मान 2024*प्रदान कर सम्मानित किया।कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागी बच्चों को प्रशस्ति पत्र भी प्रदान किए गए।
इस अवसर पर बड़ी संख्या में अभिभावक,छात्र छात्राएं, शिक्षक एवं दर्शक उपस्थित रहे।